(अनवर चौहान) देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दुशमनी की लकीरों को भी मिटा दिया है। गुजरात में दिवंगत भाजपा नेता हरेन पंड्या की पत्नी जागृति पंड्या को भाजपा में शामिल करने और बाल सरंक्षण आयोग का अध्यक्ष बनाने के फ़ैसले से सभी हैरान हैं। अभी तक कोई भी यह समझ नहीं पा रहा कि हरेन पंड्या की हत्या के लिए खुलेआम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को ज़िम्मेदार बताने वाली जागृति को आयोग का अध्यक्ष बनाने का निर्णय किस स्तर पर लिया गया. इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि नाराज़ जागृति पंड्या को किसने मनाया.ज़ाहिर सी बात है कि ये काम मोदी के किसी दूत ने ही किया होगा। 26 मार्च, 2003 को नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के कट्टर विरोधी माने जाने वाले हरेन पंड्या की अहमदाबाद में लो गार्डन के बाहर गोली मारकर हत्या कर  दी गई थी. हरेन के पिता विठ्ठलभाई पंड्या ने अपने बेटे की हत्या के लिए नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को दोषी बताया था. कई साल तक इस मामले में शांत रहने के बाद हरेन की पत्नी जागृति पंड्या ने 2007-08 में अपने ससुर विठ्ठलभाई की तरह मोदी और शाह को अपने पति  की हत्या के लिए ज़िम्मेदार बताया था. आमतौर पर लड़ने के मूड में दिखने वाली जागृति अब काफ़ी शांत नज़र आती हैं. पहले वह सब बातें खुलकर बोलती थीं, अब हर शब्द  नापतोल कर बोल रही हैं. जागृति पंड्या के इस निर्णय से काफ़ी लोग आहत हैं जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता भी शामिल हैं.
नरेन्द्र मोदी के विरोधी मेहता ने केशुभाई पटेल, गोवर्धन झोड़फिया और जागृति पंड्या के साथ मिलकर गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई थी लेकिन मेहता को  छोडकर सभी भाजपा में शामिल हो चुके हैं. मेहता ने कहा कि "जागृति को ऐसा नहीं करना चाहिए था, क्योंकि जब वह हरेन की हत्या के ख़िलाफ़ इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रही थीं, तब काफ़ी लोग उसके  साथ थे. लेकिन अब यह लड़ाई कोई मायने नहीं रखती."मेहता ने यह भी कहा था कि जागृति को पार्टी में वापस लेने का निर्णय नरेन्द्र मोदी की मजबूरी हो सकती है, इसमें आनंदीबेन पटेल शामिल नहीं हो सकतीं.  लेकिन मोदी और शाह की क्या मजबूरी हो सकती है? अहमदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पटेल कहते हैं कि निकाय चुनाव में भाजपा की जो स्थिति हुई है उसके बाद भाजपा को अमित शाह को गुजरात की  बागडोर सौंपनी पड़ सकती है. अगर ऐसा करना पड़ा तो सुप्रीम कोर्ट में लंबित हरेन पंड्या केस भाजपा और अमित शाह को काफी नुक़सान पहुंचा सकता है. इसलिए जागृति पंड्या को मना लेना सबके हित में था. इस मामले में 2002 गुजरात दंगों के दौरान गृह राज्य मंत्री रहे गोवर्धन झोड़फिया की मुख्य भूमिका रही. पहली मोदी के साथी, फिर विरोधी अब और अब  फिर सहयोगी बने झोड़फिया ही जागृति को नरेन्द्र मोदी पास ले गए थे. झोड़फिया का कहना है  जागृति उनकी बात मानकर भाजपा में आईं. उन्होंने कहा कि हरेन पंड्या की हत्या का मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए उस पर टिप्पणी नहीं की जा सकती. कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने भी एक समय हरेन पंड्या केस में जागृति पंड्या को काफ़ी सहयोग दिया था.उनका कहना है कि "जहां तक हरेन पंड्या केस का सवाल है, हमारा सहयोग और सहानुभूति उनके साथ थी. शायद वह लड़ते-लड़ते थक गई होंगी."