(अनवर चौहान) नई दिल्ली: पिछले काफी समय से कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं था। इसे हार का कारण बताया जाता रहा। मगर अब 2017 के  चुनाव में वो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के साथ चुनाव में उतरेगी। इसलिए उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस ने अपनी वरिष्ठ नेता और तीन कार्यकाल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को चुना है। अब महज़ इसकी औपचारिक  घोषणा बाक़ी है। कांग्रेस ने ये चाल बड़ी सोच समझकर चली है। दरअसल शीला दीक्षित को कोई बाहरी नहीं कह सकता। चूंकि वो उत्तर प्रदेश की बहू हैं।  वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से चुनावी हार झेलती आ रही कांग्रेस काफी वक्त से उत्तर प्रदेश के लिए रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है, जहां अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने वाले  हैं। प्रचार के दौरान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका को लेकर भी काफी  सोच-विचार जारी है। प्रियंका की मां सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष बड़े भाई राहुल गांधी ही पार्टी के शीर्ष नेता हैं। अब तक के चुनावों में प्रियंका ने इन्हीं दोनों के चुनाव क्षेत्रों क्रमशः रायबरेली और अमेठी में ही पार्टी के लिए प्रचार  कि#2351;ा है, लेकिन मांग है कि प्रियंका राज्य के अन्य हिस्सों में भी प्रचार करें। हाल ही में पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाने के काम पर लगाए गए प्रशांत किशोर, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में हासिल जीत और पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की शानदार जीत का श्रेय दिया जाता है, की टीम के सूत्रों के अनुसार, वह राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई ब्राह्मण चेहरा चाहते हैं, जिसमें शीला दीक्षित फिट बैठती हैं। इसके अलावा प्रशांत किशोर के मुताबिक दिल्ली की मुख्यमंत्री  के रूप में उनका तजुर्बा उत्तर प्रदेश के लोगों को भी लाभान्वित कर सकता है, जो अपने राज्य के पिछड़पन से दुःखी हैं।