अनवर चौहान

राष्ट्रपति चुनाव में संख्याबल और आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं। लिहाज़ा उन के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद जीतना लगभग तय हो चुका है। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा उनकी पूर्ववर्ती प्रतिभा पाटिल से ज्यादा वोट मिल सकते हैं। संख्याबल को देखते हुए उनका राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। एनडीए में शामिल शिवसेना ने मंगलवार रात कोविंद को समर्थन देने की घोषणा कर दी। शिवसेना सुप्रीम उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोविंद एक बेहतर इंसान है और उनके नेतृत्व में देश आगे बढ़ेगा। शिवसेना के समर्थन के बाद अब कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है।

इसके पहले ओडि़शा की सत्तारूढ़ बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना की सत्तारूढ़ टीआरएस राजग उम्मीदवार को समर्थन दिये जाने की घोषणा कर चुकी हैं। हालांकि विपक्षी दल 22 जून को बैठक कर रहे हैं जिसमें वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने के बारे में फैसला करेंगे। भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने हैदराबाद में कहा कि विपक्षी पार्टियों निश्चित रूप से एक उम्मीदवार चुनाव में उतारेंगी। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में सभी सांसद और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली एवं पुडुचेरी विधानसभा के सदस्य शामिल होते हैं। इसका कुल योग 10,98,903 वोट होता है। इसमें प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। विधायकों के वोट का मूल्य उस राज्य की आबादी पर निर्भर करता है जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी उम्मीदवार को चुनाव में जीत हासिल करने के लिए 50 प्रतिशत वोटों की जरूरत होती है जो 5,49,452 होती है।  शिवसेना के साथ राजग के मतों की संख्या 5,37,683 होती है। बीजद, अन्नाद्रमुक के एक धड़े, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस के भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने पर यह संख्या 50 प्रतिशत से काफी अधिक हो जाती है। इस चुनाव में मतदान गोपनीय मतपत्र के जरिए होता है और इसमें पार्टी का व्हिप लागू नहीं होता। वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी को  7,13,763 वोट मिले थे जबकि 2007 में प्रतिभा पाटिल को  6,38,116 वोट मिले थे। दोनों कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार थे।