कोच्चि.कांग्रेस के बड़े लीडर जयराम रमेश ने अपनी ही पार्टी के उन नेताओं पर तंज कसा जो अब भी ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे कि कांग्रेस अब भी सत्ता में हो। रमेश ने कहा- सल्तनत चली गई। लेकिन, हम भी अब भी यही सोचते हैं कि हम ही सुल्तान हैं। हमें खुद के प्रोजेक्शन  और कम्युनिकेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। कांग्रेस के पास आज भी बहुत सपोर्ट है लेकिन लोग अब नई कांग्रेस को देखना चाहते हैं।  है कि कांग्रेस इस वक्त वजूद के खतरे से जूझ रही है और इन हालात से निपटने के लिए सभी नेताओं को एक साथ आने की जरूरत है। रमेश ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस को ये चैलेंज नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तरफ से मिल रहा है। इस सीनियर कांग्रेस लीडर ने कहा कि पार्टी की तरफ से फिलहाल हालात को संभालने की जो कोशिशें की जा रही हैं, वो काफी नहीं हैं।


न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में रमेश ने पार्टी से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दिए।  एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा- ये सही है कि कांग्रेस पार्टी इस वक्त बेहद सीरियस क्राइसिस का सामना कर रही है। 1996 से 2004 तक पार्टी सत्ता से बाहर थी और तब भी हमने इसी संकट का सामना किया था। 1977 में इसी क्राइसिस का सामना किया था। उस वक्त इमरजेंसी के ठीक बाद चुनाव हुए थे।
लेकिन, आज हालात दूसरे, गुजरे जमाने की चुनौतियों और आज के हालात में तुलना करते हुए रमेश ने कहा- आज की बात करें तो मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस अपने वजूद को बचाने की जद्दोजहद कर रही है। वास्तव में आज के हालात बहुत गंभीर हैं। रमेश ने राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर पैदा हुए हालात में पार्टी के 44 विधायकों को बेंगलुरु भेजे जाने को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी भी पहले यही काम कर चुकी है। लिहाजा, कांग्रेस के लिए भी ये कदम गलत नहीं है।


रमेश ने पार्टी लीडरशिप को वॉर्निंग देते हुए कहा कि वो ये ना सोचे कि मोदी सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी होगी। रमेश ने कहा- हमें ये समझ लेना चाहिए कि हमारा मुकाबला नरेंद्र मोदी और अमित शाह से है। वो अलग तरीके से काम करते हैं। अगर हमने अपनी अप्रोच फ्लैक्सीबल नहीं किया तो लोग हमें खारिज कर देंगे। कांग्रेस के इस सीनियर लीडर ने अपनी ही पार्टी को नसीहत देते हुए कहा- कांग्रेस को अब ये मान लेना चाहिए कि देश बदल रहा है। पुराने नारे अब काम के नहीं रहे और ना ही पुराने समीकरण अब काम करते हैं। पुराने मंत्री भी काम के नहीं रहे। साफ है कि देश बदल रहा है तो कांग्रेस को भी बदलना होगा। राहुल से क्या उम्मीद?  पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने को लेकर चल रहे कयासों को खत्म करेंगे। राहुल अगले साल कुछ राज्यों के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी को तैयार करेंगे। रमेश के मुताबिक, उन्हें उम्मीद है कि 2017 के आखिर तक राहुल गांधी कांग्रेस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर आ जाएंगे। रमेश ने माना कि 2015 और 2016 में उन्होंने राहुल के बारे में यही सोचा था लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। हो सकता है अब राहुल पार्टी प्रेसिडेंट बन जाएं।