इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली में कुछ क्राइम रिपोर्टर ऐसे भी है जो  पुलिस अफसरों से  ट्रांसफर पोस्टिंग, हथियार लाइसेंस बनवाने  जैसे फायदा उठाते हैं। इसके अलावा अफसर से संबंध के दम पर इलाके में नंबरदारी भी करते हैं अगर  पुलिस अफसर  अपना  काम ईमानदारी से करते हैं तो ऐसे रिपोर्टर की परवाह न करें। यह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। ऐसे लोग थाना स्तर पर भी  फायदा उठाते हैं ऐसे लोग अफसर के साथ संबंध का हवाला देकर फायदा न उठा पाए। इसे रोकने के लिए अफसर थाना स्तर भी पर स्पष्ट कह दें ,तो इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। ऐसा करके अफसर समाज में बहुत बड़ा योगदान दे सकते।

ऐसे पत्रकार सिर्फ अपने फायदे के हिसाब से ख़बर दिखाते हैं। अफसोस ऐसे क्राइम रिपोर्टर की संख्या बढ़ रही है। इसमें बड़े अखबार और चैनल वाले भी शामिल हैं। ये वह लोग हैं जो पुलिस या अपराध पीड़ित व्यक्ति की  खबर भी सही तरह से नहीं करते। पुलिस के व्हाट्स ऐप ग्रुप में पुलिस अफसर के खिलाफ भी सिर्फ इसलिए लिखते हैं ताकि अफसर उनको भाव दें और वह उनसे फायदा उठा सके। अफसर ईमानदार हैं तो ऐसे लोगों से रत्ती भर भी न घबराएं।इनकी इतनी औकात नहीं कि किसी ईमानदार अफसर का कुछ बिगाड़ सके। बड़े अखबार या चैनल से भी प्रभावित या डरे बिना ईमानदारी से अपना काम करते रहे। ताज़ा मामले से ही आप समझ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय विकलांग खिलाड़ी (पावर लिफ्टर) अनिल शर्मा पर जानलेवा  हमले की खबर इंडिया न्यूज़ चैनल के मोहित ओम वशिष्ठ​ और उसके दोस्त चैनल वालों  ने पुलिस अफसर से दोस्ती निभाने के लिए नहीं रोकी। इंडिया टीवी के जितेंद्र शर्मा ने तो खुलकर मोहित की करतूत को सही  ठहराने की कोशिश की। सच्चाई यह है मोहित और उसके दोस्त रिपोर्टर अनिल के यहां अपने फायदे के लिए जाते हैं। उस रात भी मोहित और अनिल शराब पीकर बार से ही तो निकले थे। इस मामले में मोहित की भूमिका संदिग्ध है। मोहित ने खुद बताया कि इस मामले में क्रास केस दर्ज  होने का डर  था।  इसलिए मोहित मौके से भागा और खबर भी नहीं दिखाई। मोहित अनिल को  पिटता छोड़ कर भाग गया। किसी अन्य ने पुलिस को खबर दी और अनिल को अस्पताल पहुंचाया। मोहित ने पत्रकार और दोस्त का धर्म नहीं निभाया।मोहित की भूमिका संदिग्ध नहीं होती तो वह और उसके दोस्त चैनल पर खबर भी दिखाते और पुलिस को गरयाते भी। वैसे इस मामले में  अफसर सच्चाई का पता करना चाहे तो कोई बात छिप नहीं सकती। मोहित ने ही बताया कि उसने तो अनिल शर्मा का पिस्तौल का लाइसेंस बनवा देने का भी भरोसा दिया था। तो यह काम भी  करते हैं मोहित जैसे रिपोर्टर।

22 जुलाई को हुई इस वारदात को 27 जुलाई को मैंने  ही मीडिया में ही नहीं , प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पुलिस कमिश्नर तक उजागर किया। सभी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। तब पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया। मोहित  खुद को अनिल शर्मा का भाई और दोस्त बताता है लेकिन अस्पताल में उसका पता लेने तक नहीं गया।अखबार के रिपोर्टर को ख़बर की समझ थी इसलिए प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसी लिए चैनल कभी अखबार से मुकाबला नहीं कर सकते। अनिल की हालत अभी भी नाजुक हैं। गंभीर चोटों के कारण डाक्टर को अनिल की एक किडनी, आंत और अग्नाशय निकालना पड़ा। पहाड़ गंज पुलिस ने शेष आरोपियों को भी अभी तक पकड़ा नहीं। केजरीवाल और केंद्र सरकार ने इलाज में अभी तक मदद नहीं की। अनिल की कनाट  प्लेस हनुमान मंदिर पर कचौरी की दुकान है।