(अनवर चौहान) मियां नवाज़ शरीफ और भारत के वज़ीरे आला नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात का मंजर बड़ा सुहाना था। रूस की बर्फीली सरज़मीन पर दोनों की मुलाक़ात के दरमियान बड़ी गर्म-जोशी थी। नरेंद्र मोदी और  नवाज शरीफ के बीच उफा में मुलाक़ात बेहद मिलन-सारी से भरी थी। माहौल साज़गार था लिहाज़ा  बातचीत भी बड़े सलीक़े से हुई। दोनों नेताओं की रज़ामंदी इस बात भी हो गई कि अगली मुलाक़ात रूबरू मतलब जिसे  द्विपक्षीय भी कहा जाता है, दोनों देशों के दरमियान किसी तीसरे की ज़रूरत नहीं  होगी।  द्विपक्षीय स्तर पर हुई बातचीत को नए सिरे से शुरु करने को भी तैयार हो गए हैं। शरीफ ने मोदी को पाक में होने वाले सार्क की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जिसे उन्होंने स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। इस तरह से अगले वर्ष के शुरुआत में मोदी पाक की यात्रा पर जा सकते हैं। लेकिन उसके पहले दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और विदेश सचिव स्तर पर कई चरणों की बातचीत हो सकती है। भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर और पाक के विदेश सचिव ऐजाज अहमद चौधरी ने संयुक्त तौर उफा में प्रेस के समक्ष पहले से तैयार वक्तव्य को पढ़ा। हालांकि यह साफ है कि मोदी व शरीफ के बीच बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा उठाया गया। आतंकवाद पर आगे बातचीत के लिए जल्द ही नई दिल्ली में दोनों देशों के एनएसए के बीच बातचीत होगी। इसके लिए पाक के एनएसए सरताज अजीज भारत के दौरे पर आएंगे। दोनों पक्षों की तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि एनएसए स्तर पर होने वाली बातचीत में मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए और पुख्ता सबूत देने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। पाकिस्तान के अदालत में मुंबई हमले से जुड़ी सुनवाई की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अतिरिक्त सूचना देने पर भी बातचीत होगी। खास तौर पर आवाज के नमूने उपलब्ध कराने को लेकर सहयोग होगा। पाकिस्तान की यह पुरानी मांग है। भाजपा ने इस बातचीत को काफी सकारात्मक बताते हुए कहा है कि पहली बार पाक ने आतंकवाद पर भारत के पक्ष को समझने की कोशिश की है। जबिक कांग्रेस का मानना है कि इस तरह की बातचीत से कुछ हासिल होने वाला नहीें है।