अनवर चौहान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के दौरे पर इस उम्मीद के साथ निकले हैं क्योंकि खाड़ी देश और पश्चिमी एशियाई क्षेत्र भारत की विदेश नीति में अहम स्थान रखता है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे का यही लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों के साथ संबंधों को और मजबूती दी जाए।
पीएम दौरे से खाड़ी देशों को मिलेगी मजबूती

9 फरवरी से 12 फरवरी तक होनेवाली इस यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब से वह सत्ता में आए हैं साल 2015 के बाद गल्फ और पश्चिमी एशियाई क्षेत्रों का यह उनका पांचवा दौरा है। उन्होंने कहा- “यह क्षेत्र हमारे विदेश संबंधों में काफी महत्वपूर्ण है। हमारा यहां के देशों के साथ बहुआयामी संबंध हैं।” पीएम मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है- “इस दौरे से पश्चिमी एशिया और खाड़ी क्षेत्रों के साथ भारत के और घनिष्ठ और संबंधों में प्रगति की मैं उम्मीद करता हूं।” मोदी ने कहा कि उनकी यात्रा जोर्डन के रास्ते 10 फरवरी को फिलिस्तीन से शुरू होगी।
फिलिस्तीन जाने वाले पहले पीएम मोदी

सबसे खास बात ये है कि भारत के इतिहास में पहली बार यहां के किसी प्रधानमंत्री का यह पहला फिलिस्तीन दौरा है। पीएम मोदी ने कहा कि वह वहां के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात करना चाहते थे। साथ ही, फिलीस्तीन के लोग और वहां के विकास के लिए उन्होंने भारत के समर्थन की अपनी प्रतिबद्धता जताई।
कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण दौरा
पीएम मोदी के इस दौरे को कूटनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत और यूएई के बीच होने वाले व्यापार को 2020 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। हाल के दिनों में जिस तरह से भारत और इजरायल के रिश्तों में गर्माहट देखी गई है, उसके मद्देनजर भारत अपने इन पारंपरिक और कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण देशों के बीच कोई गलत संकेत नहीं देना चाहता। यही वजह है कि मोदी की इस यात्रा से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सऊदी अरब का भी दौरा किया था।
संयुक्त अरब अमीरात से बढ़ा है निवेश

जहां तक यूएई की बात है तो आपको बता दें कि पीएम मोदी अपनी इस यात्रा में वहां के निवेशकों को भारत में निवेश करने की सलाह देंगे। यहां पर यह भी बता देना जरूरी होगा कि हाल के दिनों में यूएई की तरफ से भारत में होने वाला निवेश तेजी से बढ़ रहा है। पिछले चार वर्षो में यूएई की तरफ से भारत में चार अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और छह अरब डॉलर का पोर्टफोलियो निवेश हुआ है। वहीं यूएई ने भारत में 25 अरब डॉलर के नए निवेश की बात की है। इसके अलावा ओमान की तरफ से भी लगातार निवेश बढ़ रहा है।
भारत-यूएई में अहम समझौते की उम्मीद
भारत की योजना है कि वह न सिर्फ खाड़ी के तेल उत्पादक देशों को यहां तेल भंडारण की सुविधा उपलब्ध कराए, बल्कि इन देशों की कंपनियों के साथ मिलकर दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी तेल भंडारण के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करवाए। इसको लेकर पीएम मोदी की इस आगामी यात्रा में भारत और यूएई की कंपनियों के बीच इस बारे में एक अहम समझौता भी होगा। यह इस लिहाज से भी खास है क्योंकि अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने पिछले वर्ष भारत में बनाए जा रहे तीन तेल भंडारों में रुचि दिखाई थी।
खाड़ी देशों में 90 लाख हैं भारतीय
यूएई के बाद मोदी ओमान जाएंगे। वहां वह सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद और प्राचीन शिव मंदिर जाएंगे। मोदी की तीन देशों की यात्रा का महत्व बहुत व्यापक है। खाड़ी क्षेत्र आर्थिक और रणनीतिक वजहों से बेहद महत्वपूर्ण बन चुका है। खाड़ी के देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षो में 60 लाख से बढ़कर 90 लाख से ज्यादा हो चुकी है। ये लोग सालाना भारत को 35 अरब डॉलर की राशि भेजते हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। इसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ता है। इसके अलावा भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 60 फीसद इस क्षेत्र के देशों से प्राप्त किया जाता है।