अनवर चौहान
लोकसभा चुनावों को लेकर मायावती की बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के सांसद अपनी सांसदी बचाने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। कुछ नेअपने रास्ते तलाश लिए हैं तो कुछ दूसरे दलों के साथ संपर्क में हैं। चूंकि बसपा के सांसद जानते हैं कि उनकी पार्टी किसी गठबंधन में नहीं है लिहाज़ा बसपा के टिकट पर उनका जीतना नामुमकिन है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने यूपी में 10 सीटें जीती थी. राज्य में बीजेपी के बाद बसपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी.सपा ने गाज़ीपुर से अफज़ाल अंसारी को टिकट दिया है. अफ़जाल अंसारी 2019 में बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते थे. अमरोहा से सांसद दानिश अली को पार्टी ने पहले ही सस्पेंड कर दिया था. माना जा रहा है कि वो लगभग कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. दानिश अली राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मणिपुर में भी मौजूद थे.सपा ने बुधवार को जो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला शेयर किया, उसमें कांग्रेस अमरोहा से लड़ सकती है. दानिश अली ज़मीन पर सक्रिय बताए जा रहे हैं. ये तो रही दानिश अली और अफज़ाल अंसारी की बात लेकिन मायावती की पार्टी के कई सांसद दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं. चूंकि पार्टी में मायावती तक पहुँचना मुश्किल है, ऐसे मे बसपा के आठ सांसद ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि उनको टिकट मिलेगा भी या नहीं. सूत्रों के मुताबिक सांसदों से बसपा ने अब तक चुनावी तैयारियों के संबंध में कोई संपर्क नहीं किया है. ऐसे में बसपा के सांसद सपा, बीजेपी और कांग्रेस में संभावनाएं तलाश रहे हैं, इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी के सेंट्रल कॉर्डिनेटर रामजी गौतम ने टिप्पणी करने से इनकार किया.

बसपा के एक सांसद ने कहा- मैं संगठन की बैठकों में भी नहीं बुलाया जाता हूं और न ही लोकसभा चुनाव के बारे में उससे बात होती है। तो मुझे दूसरे विकल्पों को देखना होगा. जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव दिसंबर 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे. हालांकि बाद में यादव ने कहा कि वो निजी हैसियत से यात्रा में शामिल हुए थे. यादव ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों को बताने से इनकार किया है. सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि बसपा का कम से कम एक सांसद राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी के संपर्क में हैं. आरएलडी ने हाल ही में एनडीए में जाने का फ़ैसला किया था. पश्चिमी यूपी से एक और बसपा सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं. माना जाता है कि इस सांसद ने बीते साल घोषी सीट पर हुए उपचुनावों में बीजेपी की मदद की थी. हालांकि ये सीट सपा के पास चली गई थी. एक और सांसद के सहयोगियों ने बताया है कि वो बीजेपी की पुष्टि का इंतज़ार कर रहे हैं और वो अपना ही संगठन बनाने की दिशा में भी बढ़े हैं. इस सांसद के सहयोगियों ने बताया कि अगर बसपा और बीजेपी दोनों ने टिकट नहीं दिया तो ये निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
लालगंज लोकसभा सीट बसपा सांसद संगीता आज़ाद के पति से जब इस बारे में पूछा गया तो वो बोले- बहनजी के अपने नियम और सिद्धांत हैं, वो उसी के अनुसार काम करती हैं. बीते साल संगीता आज़ाद अपने पति के साथ पीएम मोदी से मिली थीं. आंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडे ने कहा, ``अभी तो मैं जहाँ हूँ, वहीं हूँ. मैं अपनी नेता के आदेश का इंतज़ार कर रहा हूं.`` 2012 के बाद से बसपा ढलान पर है. हालांकि 2019 में 10 सीटें जीतकर मायावती ने अपनी ताक़त दिखाई थी. इस चुनाव में बसपा सपा के साथ चुनावी मैदान में थी. 2014 में बसपा जब अकेले लड़ी थी, जब वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने सपा से अपनी राहें अलग कर ली थीं और 2022 विधानसभा चुनावों में अकेले मैदान में थी. इस चुनाव में बसपा सिर्फ़ एक सीट जीत सकी थी.