
अनवर चौहान
ऑपरेशन सिंदूर, जो मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर लक्षित सैन्य कार्रवाई थी, ने भारत में ज़ोरदार राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कांग्रेस पार्टी इस ऑपरेशन के संबंध में सरकार पर कई तरह के सवाल उठा रही है, लेकिन क्या वह इसका कोई प्रभावी काट ढूंढ पाएगी, यह एक जटिल सवाल है।
कांग्रेस की रणनीति और चुनौतियाँ:
आरोप और सवाल: कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई मुद्दे उठाए हैं। उदाहरण के लिए, पार्टी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित किया, जिसके कारण भारत को नुकसान हुआ। साथ ही, कांग्रेस विधायक कोथुर मंजुनाथ ने ऑपरेशन को "दिखावा" करार देते हुए इसकी सफलता पर सवाल उठाए। इसके अलावा, राहुल गांधी ने ऑपरेशन के दौरान पारदर्शिता की कमी और सैन्य नुकसान पर सरकार से जवाब मांगा।
सेना के सम्मान का मुद्दा: कांग्रेस ने बार-बार कहा है कि वह सेना के शौर्य का सम्मान करती है और ऑपरेशन सिंदूर का स्वागत करती है। हालांकि, पार्टी यह भी दावा करती है कि बीजेपी इस ऑपरेशन का सियासी फायदा उठा रही है, विशेष रूप से तिरंगा यात्रा जैसे आयोजनों के माध्यम से। कांग्रेस ने इसके जवाब में "जय हिंद यात्रा" जैसे कदम उठाए, लेकिन यह बीजेपी की राष्ट्रवादी लहर को कितना प्रभावित कर पाएगा, यह स्पष्ट नहीं है।
आंतरिक मतभेद: कांग्रेस के भीतर ऑपरेशन को लेकर एकरूपता की कमी दिखती है। शशि थरूर जैसे नेताओं ने ऑपरेशन की तारीफ की, लेकिन पार्टी के अन्य नेताओं, जैसे उदित राज, ने इसके नाम "सिंदूर" को सांप्रदायिक बताकर विवाद खड़ा किया। यह आंतरिक मतभेद कांग्रेस की रणनीति को कमजोर कर सकता है।
सियासी चुनौती: बीजेपी ने ऑपरेशन सिंदूर को राष्ट्रवाद और सेना की ताकत के प्रतीक के रूप में पेश किया है। तिरंगा यात्रा और अन्य प्रचार अभियानों के जरिए बीजेपी जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। कांग्रेस के लिए इस राष्ट्रवादी नैरेटिव का मुकाबला करना मुश्किल है, क्योंकि सेना के खिलाफ कोई भी बयान जनता में गलत संदेश दे सकता है।
क्या ढूंढ पाएगी काट?
कांग्रेस की रणनीति बीजेपी पर सियासी लाभ लेने का आरोप लगाकर और ऑपरेशन में कथित खामियों (जैसे पारदर्शिता की कमी या खुफिया चूक) को उजागर करके सरकार को घेरने की है। हालांकि, यह रणनीति कितनी प्रभावी होगी, यह निम्नलिखित पर निर्भर करता है:
जनता की भावना: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता में गर्व और राष्ट्रवाद की भावना प्रबल है। कांग्रेस को इस भावना का सम्मान करते हुए सवाल उठाने होंगे, वरना वह देश-विरोधी दिख सकती है।
विपक्षी एकता: कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस, AAP और JMM जैसे दलों का समर्थन मिल रहा है, जो संसद के विशेष सत्र की मांग कर रहे हैं। यह एकता सरकार पर दबाव बढ़ा सकती है, लेकिन बीजेपी की प्रचार मशीनरी इसे "राष्ट्र-विरोधी" साबित करने की कोशिश कर सकती है।
तथ्यात्मक हमले: कांग्रेस ने तथ्यों के आधार पर हमले की बात की है, जैसे सीजफायर के कारण और सैन्य नुकसान। लेकिन अगर सरकार इन सवालों का प्रभावी जवाब दे देती है, तो कांग्रेस की रणनीति कमजोर पड़ सकती है।
निष्कर्ष:
कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर की काट ढूंढने की कोशिश कर रही है, लेकिन बीजेपी की राष्ट्रवादी लहर और सेना के प्रति जनता का समर्थन उसके लिए बड़ी चुनौती है। पार्टी अगर तथ्यों और संयमित भाषा के साथ सरकार की खामियों को उजागर कर पाए, तो वह कुछ हद तक राजनीतिक दबाव बना सकती है। लेकिन आंतरिक मतभेद और जनता की राष्ट्रवादी भावनाओं के बीच यह काट कितनी प्रभावी होगी, यह समय ही बताएगा।