(अनवर चौहान) नई दिल्ली । बोया बीज बबूल का तो फल कहां से आएें। कांग्रेस जब सत्ता में थी तो भाजपा ने ठीक इसर तरह का किरदार अदा किया था। लिहाज़ा अब वही किरदार कांग्रेस अदा कर रही है।   मानसून सत्र में अब सरकार और विपक्ष के बीच की फासे खत्म नहीं हो पाएंगे। समझोते के सभी दरवाज़े बंद  हो गए हैं। गुरुवार को जहां तनातनी और बढ़ गई है वहीं यह भी माना जा रहा है कि सोमवार से शुरू होने वाले चौथे और आखिरी सप्ताह में भी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का तेवर शायद गर्म ही रहे। इसका आधार गुरुवार को और पुष्ट हो गया। सदन के बाहर जहां सोनिया गांधी के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ नारे लगे। वहीं लोकसभा में भाजपा सांसदों ने युवक कांग्रेस के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला चलाने की अपील की। राज्यसभा में तो राजग के कई सदस्यों ने कांग्रेस व विपक्ष के सांसदों के निलंबन की मांग रख दी है। 30 सदस्यों ने सभापति को इस बाबत पत्र लिखा है। ऐसे में इस आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है कि सत्र समय से पहले खत्म हो जाए। कांग्रेस के साथ खड़े कुछ अन्य विपक्षी दल सदन चलाकर अपने मुद्दों पर चर्चा करने के पक्ष में भले ही हों, मुख्य विपक्ष विरोध के जरिये ही अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार, कोशिश हो रही है कि अब तक निष्पक्ष खड़े बीजू जनता दल को भी साथ लाया जाए ताकि सरकार पर और दबाव बढ़े। बीजद नेतृत्व से कांग्रेस चर्चा कर रही है। खुद सोनिया, राहुल और मनमोहन सिंह तीसरे दिन भी संसद परिसर में धरने पर बैठे। राजद, सपा और माकपा के कुछ सदस्यों ने कार्यवाही शुरू होते ही सदस्यों का निलंबन खत्म करने की मांग की। कुछ सदस्य वेल तक पहुंच गए, थोड़ी नारेबाजी भी हुई लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन्हें सुनने से साफ मना कर दिया और अंतत: उन सदस्यों ने वाकआउट किया। गौरतलब है कि शुक्रवार तक सदस्यों का निलंबन है और सोमवार से वे सदन में आ सकेंगे। आशंका जताई जा रही है कि सोमवार को फिर से कांग्रेस सदस्य वेल में आ सकते हैं। दोबारा उन्हें निलंबित करना बहुत आसान नहीं होगा। यह डर भी है कि कहीं बीजद भी दूसरे विपक्षी दलों के साथ न खड़ा हो जाए। राज्यसभा में कई सदस्य देश और समाज से जुड़े अहम मुद्दा उठाना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस सदस्यों के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। लोकसभा में भाजपा सदस्यों के साथ साथ संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने अध्यक्ष के घर के बाहर युवक कांग्रेस की ओर से प्रदर्शन की निंदा करते हुए विशेषाधिकार का मामला चलाने की अपील की। पहले तो महाजन चुप रहीं लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह विचार करेंगी। ऐसे में सत्र समय से पहले भी खत्म हो सकता है। हालांकि सरकार के एक धड़े को आशंका है कि ऐस करने पर विपक्ष उसे अपनी जीत के रूप मे पेश कर सकता है। लिहाजा सत्र अपने समय पर ही खत्म किया जाना चाहिए।