(अनवर चौहान) नई दिल्ली। तमाम शोर-शराबे के बाद आखिरकार में लोकसभा में चर्चा की शुरूआत हो ही गई।  बुधवार को शुरुआती विरोध के बाद  ललित मोदी के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। स्पीकर ने इस पर चर्चा के लिए ढाई घंटे का समय दिया है। चर्चा शुरू होते ही सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह सब जानते हैं कि सुषमा स्वराज ने ललित मोदी की मदद की है। अगर मानवता के आधार पर भी मदद करनी थी तो कानून के अंतर्गत करतीं। सुषमा ने ललित की सबकुछ जानते हुए मदद की है। उन्होंने गलती की है, इसलिए हम उनका इस्तीफा मांग रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हंगामे का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हम चाहते हैं चर्चा के दौरान सदन में प्रधानमंत्री मौजूद हों, ताकि हमें संतुष्टि हो कि वो इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई करना चाहते हैं या नहीं। सदन नहीं चल पाने का कोई जिम्मेदार है तो वो हैं प्रधानमंत्री। सदन में चर्चा के दौरान पीएम का मौजूद होना जरूरी। अगर वह नहीं सुनना चाहते तो ठीक है। इस दौरान सड़गे द्वारा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का मुद्दा उठाने पर लोकसभा में फिर से हंगामा शुरू होने से सुमित्रा महाजन खफा हो गईं। उनके मुताबिक, जो सदन में नहीं है उसका नाम नहीं लिया जाना चाहिए।इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद ने सोनिया गांधी की बहन पर टिप्पणी की। इस पर कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया। सोनिया ने वेल में आकर नारे लगाए। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही 2.45 बजे तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस ने पूछे सात सवाल, पीएम मोदी से मांगा जवाब इस बीच, कांग्रेस ने पीएम से सात सवाल पूछे हैं। सूत्रों के मुताबिक, पीएम इन सवालों के संसद में जवाब दे सकते हैं। 1. लंदन में भारतीय उच्चयुक्त के सामने आवेदन के लिए क्यों नहीं कहा गया? 2. सरकार दस्तावेज जारी क्यों नही कर रही है? 3. भारत के बजाय यूके के पासपोर्ट पर क्यों गए पुर्तगाल? 4. सरकार ने उसे भारत लौटने के लिए क्यों नही कहा? 5. सरकार ने उनके पासपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी? 6. सरकार ने यूके के सामने ललित मोदी को लेकर आपत्ति क्यों नहीं जताई? 7. उसने भारत में जान को खतरा बताया है, सरकार उसे सुरक्षा क्यों नहीं दे सकती? इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा जारी रहा। कांग्रेस ने ललित मोदी के मामले पर स्थगन प्रस्ताव पेश कर लोकसभा में चर्चा कराए जाने की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। वहीं, राज्यसभा में भी हंगामा हुआ। इसके चलते राज्यसभा की कार्यवाही बृहस्पतिवार कर स्थगित कर दी गई है। सुषमा स्वराज की अपील...स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुद स्पीकर से कहा कि यह मेरे संबंध में है, लेकिन मैं आपसे अपील करती हूं कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करे लें। सुषमा ने कहा है कि स्थगन प्रस्ताव पर सरकार चर्चा के लिए तैयार हो गई हैं। विपक्ष `ललितगेट`, `मोदीगेट` जो चाहे कहे, लेकिन चर्चा होने दे। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी..सदन में हंगामे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। अरुण जेटली ने जहां कांग्रेस के हंगामे पर कहा कि वह विपक्ष में रहकर देश पर बोझ न बने। जेटली ने कहा कि हर कोई संसद की कार्यवाही चाहता है। समाज का हर वर्ग यह चाहता है। जो खुद को गरीबों का दोस्त बताते हैं, असल में वही उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। कांग्रेस और उसे समर्थन करने वाले जिम्मेदार हैं। जो खुद को गरीबों का दोस्त बताते हैं, असल में वही उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। कांग्रेस और उसे सपॉर्ट करने वाले जिम्मेदार हैं।..वहीं जेटली के आरोप पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन ने कहा कि जीएसटी के बहाने सरकार करप्शन के आरोपों से बचना चाहती है। जीएसटी बिल के खिलाफ लेफ्ट ने भी कमर कस ली है। सीताराम येचुरी ने कहा है कि बिना चर्चा के बिल पास करने की कोशिश का विरोध करेंगे। वेंकैया की अपील----वहीं, वेंकैया नायडू ने हाथ जोड़कर विपक्ष से संसद चलने देने की अपील की। उनके मुताबिक, हम स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं। सदन का करें सम्मानः महाजन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि यदि सब चाहते हैं तो प्रक्रिया के अनुसार मुझे स्थगन प्रस्ताव स्वीकार करना होगा। महाजन ने कहा कि सदन है यह इसका सम्मान करना सीखें। प्रक्रिया के तहत स्थगन प्रस्ताव प्रश्नकाल के बाद लाया जाता है। कांग्रेस सांसदों ने सदन में `मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी` और `पूंजीपतियों की सरकार नहीं चलेगी` के नारे लगाए। गौरतलब है कि विपक्ष के हंगामे के चलते जीएसटी जैसे अहम बिल अटके हुए हैं। संसद में मंगलवार को भी जोरदार हंगामा हुआ, जिसकी वजह से कोई कामकाज नहीं हो पाया। हंगामे के चलते राज्य सभा में जीएसटी बिल पर चर्चा नहीं हो पाई। जीएसटी लागू नहीं हुआ तो होगा नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लेकर कांग्रेस के विरोध से देश की अर्थव्यवस्था को एक साल में करीब नौ लाख करोड़ रुपये की कीमत चुकानी होगी। चीन समेत कई ग्लोबल अर्थव्यवस्थाओं की सुस्त रफ्तार के बाद भारत पर निगाह लगाए बैठे विदेशी निवेशकों से आने वाले संभावित निवेश का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानकार मान रहे हैं कि जीएसटी लागू हो जाने से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में डेढ़ से दो फीसद का इजाफा होगा। सरकार ने इस विधेयक को पहली अप्रैल, 2016 से लागू करने का लक्ष्य तय किया था। संसद में कांग्रेस के विरोध की वजह से पैदा हुए गतिरोध ने आजादी के बाद अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में देश के सबसे बड़े सुधार को लागू होने से रोक दिया है। जीएसटी को लेकर बनी राज्यसभा की प्रवर समिति के सदस्य और निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर मानते हैं `जीडीपी में डेढ़ फीसद का योगदान भी माना जाए तो जीएसटी लागू नहीं होने से देश को 150 अरब डॉलर या करीब नौ लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा।` ---क्या है जीएसटी ---* वस्तु एवं सेवा कर के जरिये सभी अप्रत्यक्ष करों को हटाकर एक समान कर दिया जाएगा। * जीएसटी लागू हो जाने के बाद हर सामान और हर सेवा पर टैक्स के नाम पर सिर्फ वैट लगेगा। * पेट्रोल, डीजल, केरोसिन व रसोई गैस पर राज्यों में जो टैक्स लगता है, वह कुछ साल जारी रहेगा। * सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को होगा, क्योंकि तब चीजें पूरे देश में एक ही रेट पर मिलेंगी।
* कंपनियों का झंझट और खर्च कम होगा। व्यापारियों को सामान लाने-ले जाने में दिक्कत नहीं होगी। * जीएसटी से जो टैक्स मिलेगा, वह केंद्र और राज्यों के बीच एक तय हिसाब से बंटेगा। * जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी रुक जायेगी। इसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ेगा