अनवर चौहान
नई दिल्ली, सियासी पंडितों का कहना है कि छल और कपट का दूसरा नाम सियासत है। जो लोग छल और कपट की बुनियाद पर सियासत करते हैं वो लंबे नहीं चलते। फिलहाल दिल्ली निगम की चुनावी सर्गमी से दिल्ली की गली-गली गरम है। मैं भी दिल्ली का ही बाशिंदा हूं भला कैसे चुप रह सकता हूं। मैं जिस विधानसभा सीट का मतदाता हूं वहां निगम की भी चार सीटें हैं। मौजपुर, सीलमपुर, गौतमपुरी और चौहान बांगर। निगम के चुनाव में ये पहली बार होगा मुक़ाबला त्रिकोणीय होगा। इससे पहले सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चक्कर होती थी। लेकिन इस बार आप पार्टी लगोंट कस अखाड़े में उतर आई है।आप पार्टी ने तो लगभग सारी सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। यही वजह की आप पार्टी के उम्मीदवार चुनाव प्रचार में नज़र आ रहे हैं। जबकि कांग्रेस और भाजपा ने एक भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस और भाजपा से टिकट मांगने वाले किसी दिन खुश नज़र आते हैं तो ग़मगीन।


बेचारे हर रोज़ टिकट कटने और मिलने की ख़बरो के बीच झूल रहे हैं। कल में अचानक मैं कंप्यूट खरीदने निकला। बाज़ार में चौहान बंगर सीट को लेकर अधिक चर्चा थी। यहां से महज़ दो लोग चुनाव प्रचार में लगे दिखे। आप पार्टी के उम्मीदवार रेहमान मलिक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार दिलशाद खान उर्फ निक्के भाई। दरअसल पिछली चुनाव में ये सीट महिला रिज़र्व थी। तबकी मौजूदा पार्षद, कांग्रेस की ज़िला अध्यक्ष और उप-महापौर रह चुकी रज़िया सुल्ताना और रेहमान मलिक की पत्नी आसमा रेहमान के बीच मुक़ाबला हुआ था। आसमा रेहमान निर्दलीय निगम पार्षद चुनी गईं। जीत के बाद वो आप पार्टी में चली गईं। अब उनके पति रेहमान मलिक को आप पार्टी ने टिकट दिया है। वो पिछले पांच साल में किए अपने काम गिनवा रहे हैं।

इस सीट का चुनाव बड़ा दिलचस्प होगा।
दरअस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार निक्के भाई भी कमज़ोर नहीं है। दरअसल निक्के भाई मरहूम बल्ले भाई के सगे भाई हैं। बल्ले भाई की यहां की सियासत ज़मीन रही है। बल्ले भाई यहां के पूर्व विधायक मतीन अहमद के बेहद क़रीबी दोस्तों में से थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पिछले निगम का चुनाव रेहमान मलिक की पत्नी आसमा रेहमान को लड़वाया। नतीजा जीत में बदला। और कांग्रेस की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना हार गईं। जीत का सेहरा मरहूम बल्ले भाई के सिर बंधा। रेहमान मलिक के दफ्तर में आज भी बल्ले भाई का एक विशाल फोटो लगा है। लिहाज़ा निक्के भाई बल्ले भाई के नाम पर वोट मांग रहे हैं।


अब थोड़ा आगे बढ़ते हैं....कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार का इशारा तक नहीं दिया है। यहां से कांग्रेस का टिकट मांगने  वालों की फेहरिस्त तो लंबी है...मगर गंभीरता से तीन ही थे। और अब तीन में से दो रह गए हैं। जावेद बर्क़ी जो जाफराब ब्लॉक कांग्रेस का अध्यक्ष भी है। और यहां के पूर्व काग्रेसी विधायक चौधरी मतीन अहमद का खासुल-ख़ास है। दूसरा नाम ज़मीर अहमद मुन्ना का है।

मुफ्त में हो रहा है मतीन का प्रचार-
निगम की चारों सीटों पर कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की भीड़ लगी है। मतीन के पास जो भी अपना बायो-डाटा लेकर जाता है उसी को नेता जी कह देते हैं जाओ इलाक़े में तैयारी करो। अगले ही दिन वो मतीन की बड़ी से फोटो लगाकर पोस्टर निकाल देता है। ये हैं बुशरा अंसारी, मौजपुर सीटसे  टिकट की दावेदार थीं। चूंकि पूर्व विधायक मतीन अहमद ने इन्हें टिकट दिलाने का भरोसा दिया। प्रचार पर मोटी रक़म खर्च डाली। पोस्टर झंडी बैनर से इलाक़े को पाट दिया। अब ऐन वक़्त पर विधायक जी कहते हैं कि मौजपुर सीट पर 23000 हज़ार हिंदू वोट है 21000 मुस्लिम. ऐसी हालत में कांग्रेस का टिकट हिंदू
का ही बनता है। पूर्व विधायक जी किसी अनपढ़ को ही चूतिया बना सकते हैं। 21000 मुसलमान क्या बंधुआ कांग्रेसी है। हिंदू कांग्रेसी मुस्लिम उम्मीदवार को 23000 में से 2000 हज़ार भी मुसलिम उम्मीदवार को वोट नहीं कर सकता। जब तक कांग्रेसी वोट मुसलमान उम्मीदवार को नहीं पड़ेगा तब तक कांग्रेस इसी तरह बर्बाद रहेगी।