अनवर चौहान

बड़ी पुरानी एक कहावत है कि कुत्ते की दुम 12 बरस नलकी में रखी,निकाली तो टेढ़ी निकली।  दाग़ों से बद रंग हो चुकी दिल्ली पुलिस के दामन को धोने की कोशिश कई बार हुई, लेकिन इसंपैक्टर राज ने इसे मुमकिन नहीं होने दिया। करेप्शन की जड़ें  इतनी गहरी हो गई हैं कि जिन को उखाड़ फेंकना अब मुमकिन नहीं। दिल्ली पुलिस के मौजूदा मुखिया अमूल्य पटनायक की साफ-गोई पर  किसी दलील की ज़रूरत नहीं। टके-टके बिकता इंसपैक्टर यदि पानी में पत्थर मारेगा तो उसके छीटें दूर तक जाते हैं। किस तरह पुलिस के मुखिया की टोपी उछाली जाती है इसकी एक बांनगी देखने को मिली उत्तर पूर्वी ज़िले के जाफराब थाने का ये क़िस्स। 

25-26 अप्रैल 2017 की रात दो पक्षों के बीच झगड़ा होता है। मौजपुर के रहने वाले गुलाब मलिक ने दो साल पहले पास में ही रहने वाले शकील के साथ अपनी बेटी शबनम की शादी की थी। थोड़े दिनों बाद ही ससुराल वाले कम दहेज़ को लेकर शबनम को परेशान करने लगे। बात मार-पीट तक पहुंच गई। चार महीने से वो अपने मयके में ही रह रही थी। ससुराल  वाले जब उसे लेने नहीं आए तो वो खुद ही अपने मासूम बच्चे के साथ ससुराल पहुंच गई। उसके काफी देर तक दरवाज़ा खट-खटाने के बाद शकील घर से निकल कर आया और शबनम को धक्के मार कर भगा दिया। रात के कडरी 10 बज रहे थे। एक तरफ आसमान से बारिश हो रही थी तो दूसरी शबनम की आखों से भी आसू टपक रहे थे। रात के वक़्त शबनम को सड़क पर रोता देख मोहल्ले के ही एक आदमी ने गुलाब मलिक को फोन कर बताया कि तुम्हारी लड़की सड़क पर अकेली ख़ड़ी है। ये सुनकर गुलाब मलिक अपने दोनों लड़कों के साथ वहां पहुंच गए। दोनों पक्षों के दरमियान झगड़ा हुआ। शबनम को उसके ससुराल वालों ने ख़ूब पीटा, और उसका मोबइल फोन और बैग उससे छीन लिया। पीटा उसके भाई टिंकू को भी। इस केस की जांच करने वाले ए.एस.आई मांगेराम ने अगले दिन शबनम को फोन कर कहा कि अपना मोबाइल और बैग  ले जाओ।


शबनम ने इलाक़े के डी.सी.पी और ऐ.सी.पी के यहां भी गुहार लगाई, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। बात दरअसल ये है कि इंसपैक्ट आप-जनाब कर अपनी बात को सही साबित कर देता है। इस काम में उसे  महारथ हासिल है। इस केस के पहलू पर ज़रा गोर से देखें......जांच अधिकारी अपनी तफ्तीश में लिखता है मोबाई और बैग शबनम ने अपने पति को दे दिए। सवाल पैदा हो जता है कि क्या झगड़े के दौरान शबनम प्यार से अपना बैग अपने पति को थमा सकती है? शबनम के सगे भाई  टिंकू की जमक पिटाई होती मगर पुलिस उसे सिरे से ख़ारिज कर दिया। कुल मिला कर दाद देने पड़ेगी उस अधिकारी की जिसने अपनी क़ल्म से पूरी कहानी ही बदल डाली। जांच अधिकारी ने भले ही नई कहानी को जन्म दे दिया। मगर इसंपैक्टर ये नहीं सोचा कि ऐसा करने पर पुलिस की बदनामी होगी। नहीं.....उसे जेब गरम करने से मतलब है


शबनम का जेठ यूसुफ