नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन में जारी बवाल के बीच सुलह के संकेत ख़त्म होते दिख रहे हैं। हालांकी लालू यादव तमाम उलझनों को सुलझानें में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने पिछली रात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन में जारी बयानबाजी पर विराम लगाने के सिलसिले में फोन किया था. इतना ही नहीं, लालू ने अपनी पार्टी के एक प्रवक्ता अशोक सिन्हा को पद से हटाए जाने की भी सूचना दी. साथ ही उन्होंने पिछले एक सप्ताह से चल रहे वाकयुद्ध को समाप्त करने की गुजारिश भी की.हालांकि, जेडीयू प्रवक्ता के एक ताजा बयान से महागठबंधन में रार फिर से बढ़ गई हैं. जेडीयू नेता और राज्यसभा सांसद केसी त्‍यागी ने आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़ने का इशारा किया है. उन्होंने कहा कि जब बीजेपी से गठबंधन था तो उनकी पार्टी काफी सहज थी.मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाश्ते के आमंत्रण के दौरान नजारा कुछ बदला सा लगा. हालांकि महागठबंधन में शामिल पार्टी कांग्रेस अभी भी हमलावर रुख अपनाए हुए है. दरअसल सोमवार को एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दे रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पलटवार करते हुए कहा था कि `बिहार की बेटी` की हार पर सबसे पहला निर्णय नीतीश कुमार ने लिया है. उन्होंने कहा था कि जो लोग एक सिद्धांत में यकीन करते हैं वो एक फैसला लेते हैं और जो लोग कई सिद्धांतों में भरोसा रखेत हैं वो अलग-अलग फैसले लेते हैं. हालांकि आजाद के बयान पर जेडीयू प्रवक्ता ने कहा था कि हम यूपीए का हिस्सा नहीं हैं.

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बिहार में चुनाव से पहले गठबंधन करते समय ही तय हो गया था कि राष्ट्रीय राजनीति में यह धारणा स्वीकार नहीं होगी. दरअसल इस पूरे विवाद की शुरुआत राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के नाम की घोषणा के बाद से शुरू हुई, जब नीतीश कुमार ने अपना फैसला बदलने से इनकार करते हुए ये इस चयन पर ही ये कहते हुए सवाल उठाए कि आखिर `बिहार की बेटी` को हारने के लिए ही क्यों चुना गया. हालांकि इसके बाद आरजेडी अध्यक्ष ने अपनी ओर से नीतीश का फैसला बदलने की भरपूर कोशिश की. इफ्तार पार्टी के दौरान दोनों नेताओं में बातचीत भी हुई, लेकिन नीतीश ये कहते हुए डटे रहे कि अगर ये ऐतिहासिक भूल है तो इसे कर लेने दीजिए. बात यहीं नहीं रुकी, पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम `मन की बात` की तर्ज पर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने `दिल की बात` शुरू की है और रविवार को तेजस्वी ने इसी कड़ी में बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर बिना नाम लेते हुए उन्हें आत्मकेंद्रित और अवसरवादी कह दिया. तेजस्वी ने कहा, `आत्मकेंद्रित व्यवहार की वजह से विपक्ष भ्रमित और थोड़ा बिखरा हुआ दिख रहा है.

अवसरवादी बर्ताव और राजनीतिक दांवपेच से तत्कालिक फायदे हो सकते हैं या सरकार बन-बिगड़ सकती है, लेकिन टेलीविजन एंकरों के उलट इतिहास इस बात की गवाही देगा कि जब प्रगतिशील राजनीति को मजबूत करने की जरूरत थी तो हमने दूसरा रास्ता चुना.` तेजस्वी का राज्य के सीएम पर ये छिपा हुआ हमला जेडीयू को नागवार गुजरा और इसके बाद बिहार ईकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने महागठबंधन के भविष्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि अब सरकार में शामिल लोग ऐसे बयान जारी कर रहे हैं तो ये खतरे की घंटी बजने जैसा है. उन्हें डिप्टी सीएम से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी.