अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए बुधवार रात एेलान किया कि उनका देश यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है। ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपने अभियान में इसका वादा किया था। लेकिन ट्रंप के इस ऐलान के साथ ही फिलीस्तीन की गाजा सिटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। यहां पर लोगों ने डोनाल्ड ट्रंप के पोस्टर जलाकर अपने गुस्से का इजहार किया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में एक कैबिनेट बैठक के दौरान कहा, यह निर्णय लंबे समय से बकाया था। व्हाइट हाउस से एक टीवी संबोधन में अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप जेरुशलम को इजरायल की राजधानी मानते हैं। वह विदेश मंत्रालय को आदेश देंगे कि अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम लाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। 
इजराइल: जेरूशलम आखिर क्यों बन सकता है एक संवेदनशील मुद्दा
अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति अमेरिका सरकार को कहेंगे कि वह यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे, जो एक ऐतिहासिक वास्तविकता है। ट्रंप के एलान से पहले एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, यरुशलम प्राचीन काल से यहूदियों की राजधानी रहा है। वर्तमान में सच्चाई यह है कि यह शहर सरकार, महत्वपूर्ण मंत्रालयों, इसकी विधायिका और सुप्रीम कोर्ट का केंद्र है।
शहर की स्थिति नहीं बदलेगी :
ट्रंप प्रशासन ने कहा कि जेरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने से वहां मौजूद पवित्र स्थलों की स्थिति प्रभावित नहीं होगी। शहर की स्थिति हमेशा फलस्तीन और इजरायल के बीच होने वाले अंतिम समझौते के अधीन रहेगी। बदलाव में सालों लगेंगे : व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कई तरह की जटिलताओं का हवाला देते हुए कहा कि जेरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे देने की स्थिति में भी अमेरिकी दूतावास को वहां स्थापित करने में कई साल लग सकते हैं। ट्रंप के एलान के साथ ही अमेरिका जेरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश बन गया है। इसके साथ ही इजरायल और फिलीस्तीन को लेकर अमेरिका की दशकों पुरानी नीति बदल गई है, जिसमें जेरुशलम के भाग्य पर निर्णय को इन दोनों देशों के लोगों के भरोसे पर छोड़ दिया गया था। ट्रंप ने मंगलवार को फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय को अपने इरादों की जानकारी दी थी। ट्रंप के इस एलान को लेकर फिलीस्तीन और अरब जगत समेत पूरी दुनिया में आक्रोश देखने को मिल रहा है। यूरोपीय संघ ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। इससे पहले, सोमवार को व्हाइट हाउस ने कहा था कि राष्ट्रपति ने जेरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने और वहां अमेरिकी दूतावास खोलने का अपना फैसला फिलहाल टाल दिया है।
दोनों पक्षों से चर्चा जरूरी : संयुक्त राष्ट्र
पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूत निकोलय मलादेनोव ने बुधवार को कहा कि जेरुशलम के भविष्य के दर्जे को लेकर इजरायल और फलस्तीन के साथ मिल बैठकर बात करना जरूरी है। इस शहर को लेकर उठाए जाने वाले किसी भी कदम की प्रतिक्रिया को लेकर बहुत सावधान रहने की जरूरत है।

तनाव बढ़ाने वाला कदम : चीन
चीन ने बुधवार को चेताया कि जेरुशलम पर ट्रंप की योजना से क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, हम तनाव और बढ़ने की आशंका से चिंतित हैं। सभी पक्षों को क्षेत्रीय शांति को ध्यान में रखना चाहिए, शब्दों और कार्यों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, तथा क्षेत्र में नए टकराव से बचना चाहिए। बड़ी त्रासदी साबित होगा : तुर्की तुर्की के उप प्रधानमंत्री बकर बुजदाग ने ट्वीट किया, यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने का अमेरिकी कदम क्षेत्र और पूरी दुनिया को आग में झोंक देगा। यह सभी के लिए बड़ी त्रासदी साबित होगा। यह पूरी स्थिति अराजकता और हिंसा की तरफ ले जाएगी जिससे बहुत सारी अप्रिय चीजें सामने आ सकती हैं।
इजरायल-फलस्तीन संघर्ष बढ़ने की आशंका
ट्रंप का यह कदम इजरायल और फलस्तीन के बीच के संघर्ष को बढ़ा सकता है। ब्रिटेन में फलस्तीन के प्रतिनिधि मैनुअल हस्सासियन ने कहा, ट्रंप अगर यह घोषणा करते हैं तो यह फलस्तीन-इजरायल शांति वार्ता के लिए ‘मौत का चुंबन’ होगा। उन्होंने कहा, ट्रंप पश्चिम एशिया में मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रहे हैं, जो जेरुशलम को इजरायल के अधीन कभी स्वीकार नहीं करेंगे। फलस्तीनी गुटों ने अमेरिका के संभावित कदम को लेकर वेस्ट बैंक क्षेत्र में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन की पहले ही घोषणा की दी है। इजरायली अखबार ‘हारेट्ज’ ने फलस्तीनी नेताओं के हवाले से बताया कि फलस्तीनी गुट का विरोध प्रदर्शन बुधवार से शुक्रवार तक चलेगा। इसे फिलिस्तीनी प्राधिकरण का समर्थन हासिल होगा।
अरब नेताओं ने भी इस कदम के खिलाफ चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यह कदम मुस्लिमों के लिए खुला उकसावा होगा। विवाद की वजह
इजरायल जेरुशलम को हमेशा अपनी राजधानी मानता आया है
फलस्तीन जेरुशलम को अपने भावी राष्ट्र की राजधानी मानता है
यह विवाद फलस्तीनियों के साथ इजरायल के संघर्ष का एक प्रमुख कारण है
इस पर फलस्तीनियों को पूरे अरब और व्यापक इस्लामी जगत का समर्थन है
इजरायल का कब्जा, मगर मान्यता नहीं
इजरायल ने जेरुशलम पर 1967 में युद्ध के दौरान कब्जा जमाया, पहले इस पर जॉर्डन का कब्जा था, इसके बावजूद इजरायल की जेरुशलम पर संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कभी मान्यता नहीं मिली इजरायल के करीबी सहयोगी अमेरिका समेत सभी देशों के दूतावास वर्तमान में तेल अवीव में हैं
कई धर्मों के लिए पवित्र शहर
    जेरुशलम में यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र और ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं
    यहूदियों का पवित्र मंदिर पर्वत, मुसलमानों का हरम अल-शरीफ व अल-अक्सा मस्जिद यहीं हैं
    माना जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद उसी स्थान से जन्नत गए थे, जहां अल-अक्सा मस्जिद है
    चर्च ऑफ द होली सेपल्चर यहीं है, मान्यता है कि इसी जगह ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाया गया था

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