(अनवर चौहान) नई दिल्ली, उधमपुर में ज़िंदा पकड़े गए आतंकी उस्मान को पकड़ लेने पर इतराने की कतई ज़रूरत नहीं है। पुलिस और खुफिया ऐजंसियों को उससे कुछ मिलने वाला नहीं। उस्मान को पकड़ लेना हमारे किसी गली मोहल्ले के छुटभय्या बदमाश को पकड़ लेने समान है। ये मैंने कुछ अधिक लिख दिया हमारे यहां के किसी गली मोहल्ले का बदमाश वारदात के बाद तो आसानी से हाथ नहीं आता। ये तो हमारे छुटभय्ये बदमाशों से भी बड़ा चूतिया है।  इसमें तो कोई शक की गुंजाइश ही नहीं कि भारतीय लोग उसके दुशमन हैं.....और वो भागने के लिए दुशमनों से ही पता पूछ रहा है।.....इतना ही काफी है  इस आतंकी के शातिर या मूर्खता की दलील। ये हमारे लोगों की वीरता की दास्तान है या फिर उस्मान की मूर्खाता की कहानी.......इस घटना के सवाल में से भी कई और सवाल निकलते हैं.......मगर मैं सिर्फ एक मुद्दे पर सवालिया निशान उठा रहा हूं। भारत ने आज साफ कर दिया है कि उन्होंने एक पाकिस्तानी आतंकी को गिरफ्तार कर लिया है। हो सकता है कि ये मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया जा सकता है। जवाब में पाकिस्तान कहेगा कि उस्मान हमारा नागरिक नहीं है। अगर ये साबित कर भी दिया कि वो पाकिस्तानी है तो इस बात की हमारे पास कोई दलील नहीं कि वो खूंखार, या इनामी आतंकी था। हां पाकिस्तान शातिर ज़रूर है। इन वारदातों के लिए उसे मूर्ख लड़के आसानी से मिल जाते हैं। जिस तरह हम अजमल क़साब से खुफिया जानकारी हासिल नहीं कर पाए ठीक कुछ ऐसा ही होगा उस्मान की गिरफ्तारी का हाल। रॉ के पूर्व चीफ ने कहा था कि अजमल क़साब  की फांसी से भारत को कोई लाभ नहीं मिला......ठीक उसी तरह उस्मान की गिरफ्तारी से कुछ मिलेन-विलने वाला नहीं है। आइये जानते हैं किस तरह पकड़ा गया उस्मान....बीएसएफ ने जब दो आतंकियों को मार गिराया, तब उस्मान भागकर नरसू गांव की तरफ चला गया। उसने देशराज, सुभाष शर्मा, जीवन, विक्रमजीत और राकेश को बंधक बना लिया। उस्मान अपनी जान बचाने के लिए किसी सेफ जगह पर जाना चाहता था। लेकिन उसे रास्‍ता पता नहीं था। इस बीच, देशराज, सुभाष और जीवन बच निकलने में कामयाब रहे। - विक्रमजीत ने बताया, ``उसने (आतंकी) हमसे कहा कि अगर हम उसे भागने का रास्ता बताएं तो वह हमें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। लेकिन हमने उसे पकड़ने  का फैसला कर लिया था। हम उसे गलत रास्‍ते पर लेकर चले। उसने मुझे बहुत टॉर्चर किया। धमकी दी कि मार देंगे। बोला कि मेरे को रास्ते बताओ। मेरे को फरार होना है। आपको कुछ नहीं बोलूंगा। वह हिंदी में बात कर रहा था। मेरे को मारा, मेरे भाई को पकड़कर रखा। वह भूखा था। इसलिए हम एक जगह
 रुक गए। इसी बीच राकेश कुछ लोगों के साथ वहां से गुजरे और पुलिस भी आ रही थी। जब आतंकी ने देखा कि पुलिस आ रही है तो वह हमें धमकाने  लगा। तभी राकेश ने उसकी गर्दन पकड़ ली। मैंने उसकी गन पकड़ी। उसने फायर भी किया। मेरे हाथ में लगी। - विक्रमजीत ने बताया कि जब कासिम को दबोच लिया गया तो वह अपने दोस्तों के बारे में पूछने लगा। वह बार-बार पूछ रहा था कि उसके साथी  कहां हैं? विक्रमजीत के रिश्तेदार राकेश का क्या रहा रोल? आतंकी जब बंधकों को लेकर सेफ जगह की तलाश में जा रहा था तभी उसका सामना राकेश कुमार से हो गया। राकेश रास्‍ते से गुजर रहे थे। उन्‍होंने बताया, ``आतंकी इन लोगों (बंधकों) को ले जा रहा था। मुझे भी रास्ता बताने को कहा। सेफ जगह ले जाने के लिए बोला। अपनी सेफ्टी के लिए मैं साथ जाने को तैयार हो गया। आतंकी हमसे कह रहा था कि मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। मुझे सेफ जगह बताओ। पर मैंने सोचा कि नौकरी  नहीं तो क्या हुआ, इन्हें पकड़ तो सकता हूं। उसने हम पर फायर भी किया। हम पांच लोगों ने मिल कर उसे दबोच लिया।``

सवाल----मुद्दत से हाफिज़ सईद, लखवी जैसे बड़े आतंकियों और दाऊद इब्राहीम को भारत को सौंपे जाने की मांग उठती रही है। हां यदि कोई इनमें से किसी एक को पकड़ लाया तो य़कीनन वो इस मुल्क के इतिहास के पन्नों की नज़ीर बनेगा