अनवर चौहान
मुख्तार अंसारी की मौत पर एक नहीं अनेकों सवाल खड़े हो गए है। मुख्तार की जानिब से बार-बार आगाह किया जा रहा था कि उसकी जानको ख़तरा है। और हुआ भी वही जान उसकी चली गई। ये बात अलग है कि जान जाने का सबब क्या था ये जांच का हिस्सा है। न्यायिक जांच हो या प्रशास्निक जांच। अंजाम तो लोग जानते ही है। गुरुवार रात उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख़्तार अंसारी बाँदा के मेडिकल कॉलेज में बेहोशी की हालत में लाए गए और उसके लगभग एक घंटे बाद ही उनकी मौत हो गई. लेकिन पिछले कुछ दिनों से बाँदा जेल और अस्पताल से मुख़्तार अंसारी और उनकी बिगड़ती तबीयत के संकेत आ रहे थे. और उनका परिवार भी यह आरोप लगा रहा था कि उन्हें धीरे असर करने वाला ज़हर देकर मारने की कोशिश की जा रही है. पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को समेट कर समझने की कोशिश करते हैं। मुख़्तार अंसारी की मौत अचानक हुई या उन्हें और उनके परिवार को किस बात का अंदेशा था.बाँदा में मुख़्तार अंसारी की मौत के बाद उनके छोटे बेटे उमर अंसारी कहते हैं, "पापा ने हमें खुद बताया है कि उन्हें स्लो प्वॉइज़न दिया जा रहा है. लेकिन कहां सुनवाई हुई."
अब मुख़्तार अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे उमर के साथ जेल से बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ है. जिसमें मुख़्तार अंसारी की आवाज़ में काफी कमज़ोरी नज़र आ रही है. मुख़्तार अंसारी अपने बेटे उमर से कहते हैं, "18 (मार्च) तारीख के बाद रोज़ा ही नहीं हुआ है."उमर मुख़्तार अंसारी से कहता है कि उन्होंने मीडिया की रिपोर्ट में मुख़्तार को अस्पताल जाते देखा जिसमें मुख़्तार काफी कमज़ोर नज़र आ रहे थे. मुख़्तार को हिम्मत देते हुए उमर कहते हैं कि वो अदालतों से उनसे मिलने की इजाज़त लेने की कोशिश में लगे हुए हैं. अपनी कमज़ोरी बताते हुए मुख़्तार अंसारी कहते हैं कि वो "बैठ नहीं पा रहे हैं." जवाब में उमर कहते हैं, "हम देख रहे हैं पापा, ज़हर का सब असर है." मुख़्तार आगे कहते हैं, "अल्लाह अगर ज़िंदा रखेगा तो रूह रहेगी, लेकिन बॉडी तो चली जा रही है. अभी व्हीलचेयर में आए हैं और व्हीलचेयर में खड़े नहीं हो सकते हैं."26 मार्च को यानी मंगलवार की सुबह उमर अंसारी ने स्थानीय मीडिया को पुलिस से मिला एक रेडियो संदेश भेजा जिसमें लिखा था कि मुख़्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बाँदा मेडिकल कॉलेज के ईसीयू में भर्ती कराया गया है.
मुख़्तार अंसारी के भाई और पूर्व सांसद अफ़ज़ाल अंसारी जब उनसे बाँदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू से मिल कर बाहर निकले तो उन्होंने बाहर मौजूद मीडिया से कहा कि उन्हें मुख्तार से पांच मिनट मिलने का मौका मिला और वो होश में थे. अफ़ज़ाल अंसारी ने कहा कि उनके भाई मुख़्तार अंसारी का मानना और कहना है कि उन्हें खाने में कोई ज़हरीला पदार्थ खिलाया गया. अफ़ज़ाल ने कहा, "40 दिन पहले भी यह हो चुका है." अस्पताल में इलाज की कमियों के बारे में अफ़ज़ाल अंसारी ने कहा कि, "डॉक्टर ने बताया कि वो सर्जन हैं. मुख़्तार के पेट में कब्ज़ियत हो गई थी. एक सर्जन और उनके दो सहयोगी उनका इलाज कर रहे हैं. उन्हें समय से रेफर कर दीजिए." अफ़ज़ाल अंसारी के मुताबिक़ उन्होंने बाँदा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से मिलने की मांग की, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई. मुख़्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी सवाल उठाते हुए कहते हैं, "जब उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें आईसीयू लाया गया तो मात्र 12 घंटे के अंदर इतना प्रेशर पड़ा कि डॉक्टर स्वतंत्र रूप से इलाज भी नहीं कर पाए. " "आईसीयू से इंसान वार्ड में या आईसीयू के बाद जो यूनिट होता है वहां जाता है. लेकिन आईसीयू के बाद सीधा जेल के तन्हा बैरेक भेज दिया गया. वहां उनको हार्ट अटैक हुआ और उसके बाद सब बात आपके सामने है."
गुरुवार रात को बाँदा मेडिकल कॉलेज के आस पास अचानक काफी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए. पुलिस की गाड़ियों के साथ एक एम्बुलेंस मेडिकल कॉलेज पहुंची. तकरीबन 8 बज कर 25 मिनट पर एम्बुलेंस से मुख़्तार अंसारी को बाहर निकाला गया. उसका भी वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो के बारे में मुख़्तार अंसारी के सबसे बड़े भाई ने बताया कि एम्बुलेंस से उतरा जा रहा था, तो उनका हाथ स्ट्रेचर के बाहर लटक रहा था. बेजान, जो बता रहा है कि वो नहीं हैं. वो सिर्फ एक दिखावा है." अंत में वो आरोप लगते हुए कहते हैं, "कोई इलाज नहीं दिया गया. उसी तरह से सिसक सिसक कर उन्हें जेल में छोड़ दिया गया. उन्हें मारने की साज़िश से जेल में रखा गया ताकि कोई इलाज ना मिल सके."
21 मार्च को मुख़्तार अंसारी के वकीलों ने मऊ की एमपीएमएल अदालत को बताया कि 19 मार्च बांदा के जेल प्रशासन ने उन्हें खाने में ज़हर देकर मारने की कोशिश की. वकीलों ने अदालत को बताया कि इसके पहले भी उन्हें दो बार जान से मारने की साज़िश हो चुकी है. कोर्ट को लिखे इस पत्र में उन्होंने भाजपा के बड़े स्थानीय नेताओं और बाहुबली नेताओं पर साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया. 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बाँदा के जेल अधीक्षक को मुख़्तार अंसारी को मेडिकल सुविधाएँ मुहैया कराने का आदेश दिया और कहा कि अगर मुख्तार अंसारी को किसी विशेष इलाज की ज़रूरत हो तो उसका भी इंतज़ाम किया जाए.
27 मार्च को, यानी मुख़्तार अंसारी की मौत के ठीक एक दिन पहले फिर मऊ की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का हवाल देते हुए मुख़्तार अंसारी के वकीलों ने अदालत से गुहार लगाई कि कोर्ट उनके मुवक्किल पर मंडरा रहे खतरों के मद्देनज़र उनकी सुरक्षा के लिए के लिए आदेश पारित करे. अगर कोर्ट में इतने संगीन आरोप लग रहे थे और जिसमें स्थानीय नेताओं और बाहुबलियों पर उनकी हत्या की साज़िश करने की बात रखी गई तो फिर प्रशसन को क्या कदम उठाने चाहिए थे?
सुप्रीम कोर्ट में मुख़्तार अंसारी के वकील दीपक सिंह कहते हैं, "अगर लोकल अदालत में ज़हर देने का आरोप लग रहा है तो फिर ज़िला प्रशासन को मुख़्तार अंसारी के आस पास तैनात जेल स्टाफ को बदल देना चाहिए था."वकील दीपक सिंह कहते हैं, "सरकार का कहना है कि दिल के दौरे से मौत हुई है, उमर अंसारी कहते हैं वो भी, "कोर्ट के न्यायिक रास्ते से आगे चलेंगे. हमें न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है." मामले में संलिप्तता के बारे में उमर ने कहा, "हम कुछ नहीं कहना चाहेंगे, सब जांच का विषय है. जो अदालत फैसला करेगी हमको यकीन है कि वो इंसाफ़ है." मुख़्तार अंसारी के परिवार वालों द्वारा लगाए गए आरोपों पर सरकार ने औपचारिक तौर पर सफाई दी है कि ये कुदरती मौत है. मैजिस्ट्रेट जांच बिठाई जा चुकी है और अब एक महीने बाद उसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी.