अनवर चौहान

कई लोग अपने बढ़ते पेट को कम करने के लिए जिम का सहारा लेते हैं, जबकि कुछ लोग इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते.इस अतिरिक्त चर्बी को आम बोलचाल में बेली फ़ैट, टमी फ़ैट या बीयर बेली भी कहा जाता है. अपनी छवि और फ़िटनेस को लेकर सजग युवा इसके बारे में चिंतित रहते हैं.पेट के आसपास चर्बी बढ़ जाने से अक्सर लोग अपनी पसंद के कपड़े आराम से नहीं पहन पाते.हालांकि इसका असर सिर्फ़ पसंद की कपड़े पहनने तक सीमित नहीं है. पेट की चर्बी आपकी सेहत के लिए कई तरह से नुक़सानदेह साबित हो सकती है. 
पेट की चर्बी कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, हाई शुगर लेवल और कोलेस्ट्रॉल की दिक़्क़त. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में छपी एक रिसर्च बताती है कि बेली फ़ैट एक तरह के प्रोटीन यानी साइटोकाइन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है जो शरीर में इन्फ़्लेमेशन यानी सूजन पैदा कर सकता है.यह बेली फ़ैट एक और प्रोटीन यानी एंजियोटेंसिन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है जिससे रक्त वाहिकाएं यानी ब्लड वेसल्स सिकुड़ना शुरू करती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ता है.

इससे डिमेंशिया, अस्थमा और कुछ कैंसर का ख़तरा भी बढ़ता है.

दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार चौधरी का कहना है कि शरीर के अन्य हिस्सों में जमा चर्बी की तुलना में पेट के आसपास जमा चर्बी कहीं अधिक ख़तरनाक है.डॉ. चौधरी बताते हैं, "जब पेट की चर्बी की कोशिकाएं टूटती या नष्ट होती हैं, तो उनसे कई प्रकार के विषैले तत्व निकलते हैं. ये तत्व हृदय धमनियों में सूजन बढ़ाते हैं. इससे हृदय रोग का ख़तरा बढ़ता है. साथ ही यह शरीर में इंसुलिन रेज़िस्टेंस को बढ़ाता है. जिससे डायबिटीज़ का जोखिम भी बढ़ सकता है."विशेषज्ञों के अनुसार, पेट की चर्बी बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे आनुवंशिक प्रवृत्ति, हार्मोनल बदलाव, उम्र, अधिक वज़न और मेनोपॉज़.
इसके अलावा असंतुलित जीवनशैली, अनियमित दिनचर्या और असंतुलित भोजन भी इसकी वजह हो सकते हैं.स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ आदतों को अपनाकर पेट की चर्बी को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है.पेट की चर्बी कम करने के लिए कुछ चीज़ों पर ध्यान देना ज़रूरी है. सोने से क़रीब दो या तीन घंटे पहले खाना बिल्कुल न खाएं. जब आप दिन में खाते हैं, तो आपका शरीर आपके रोज़ के काम के लिए कैलोरी का इस्तेमाल करता है और उसका उपयोग एनर्जी के लिए करता है.लेकिन रात को खाना खाने के बाद, ये कैलोरी इस्तेमाल नहीं हो पाती है.
फिर ये वसा यानी फ़ैट के रूप में जमा हो जाती है और वज़न बढ़ने लगता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आप अपने खाने में फ़ाइबर ज़्यादा लेते हैं तो आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती.खाने में फ़ाइबर होता है तो वह खाने के साथ पेट में रहता है. ये पेट से आंत तक जाने की खाने की गति को धीमा करता है. इसका मतलब है कि आपको लंबे समय तक लगता है कि आपका पेट भरा है. खाने में प्रोटीन शामिल करें. प्रोटीन की वजह से पेट लंबे समय तक भरा महसूस होता है, जिससे बार-बार कुछ खाने की इच्छा कम हो जाती है. साथ ही यह भूख बढ़ाने वाले हार्मोन यानी घ्रेलिन का स्तर घटाता है और खाने की तलब को नियंत्रित करता है.
प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है और मेटाबॉलिज़्म को भी तेज़ करता है जिससे कैलोरी बर्न करने की क्षमता बढ़ती है. अंडा, दाल, दूध, पनीर, दही, मछली, चिकन और सोया जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ रोज़ाना के आहार में शामिल करें. व्हाइट ब्रेड, चिप्स और क्रैकर्स जैसी चीज़ों में फ़ाइबर लगभग न के बराबर होता है, जिसके कारण ये जल्दी पच जाते हैं और अचानक आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं.ब्लड शुगर में यह तेज़ उतार-चढ़ाव न केवल भूख को बढ़ाता है बल्कि वज़न बढ़ने और टाइप-2 डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ा देता है. इसलिए इनकी जगह साबुत अनाज से बनी ब्रेड, भुने हुए स्नैक्स, फल और नट्स जैसे हेल्दी विकल्प अपनाना बेहतर होता है.
बहुत ज़्यादा चीनी और कैलोरी वाले खाने से बचें. शराब का सेवन सीमित करें और धूम्रपान बंद करें.जब नींद ठीक नहीं होती है, तो यह भूख बढ़ाने वाले हार्मोन को प्रभावित कर सकता है, जो ज़्यादा खाने की तलब पैदा करता है. लॉस एंजिल्स कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, पेट में बनने वाला एक हार्मोन घ्रेलिन जो भूख बढ़ाता है, वह नींद की कमी से बढ़ता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि तनाव न लें और स्ट्रेस मैनेज करें. तनाव से ख़ून में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल रिलीज़ होता है. इसके साथ जब हम तनाव में होते हैं, तो हम खाने के ऊपर ज़्यादा ध्यान नहीं देते और ख़ुद का ध्यान भटकाने के लिए कुछ भी खा लेते हैं.
शारीरिक व्यायाम और सक्रिय रहने से कैलोरी ख़र्च होती है, जिससे ख़ासकर पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है. नियमित रूप से तेज़ चाल से चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैरना या योग करना न केवल फ़ैट घटाता है बल्कि मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करता है. एक्सरसाइज़ से मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं. ये हृदय को स्वस्थ रखता है. पेट के आसपास जमा चर्बी कम होने से डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का ख़तरा भी घटता है.